प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों पर सीधी भर्ती के विरोध में राजकीय शिक्षकों में गहराते रोष को देखते हुए सरकार अपने कदम पीछे खींच सकती है। सीधी भर्ती के लिए राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से होने वाली परीक्षा के कार्यक्रम को पीछे करने की तैयारी है। शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत की अध्यक्षता में कार्मिक, वित्त, न्याय एवं शिक्षा विभागों के अधिकारियों की बैठक में शिक्षकों की मांगों पर सकारात्मक रवैया अपनाते हुए समाधान निकालने पर सहमति बनी। शिक्षकों की पदोन्नति में आ रही अड़चन भी दूर की जाएंगी। प्रधानाचार्य के रिक्त पदों पर सीधी भर्ती के विरोध में राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड के आह्वान पर शिक्षक आंदोलनरत हैं। गत गुरुवार को शिक्षक दिवस के कार्यक्रमों का भी संघ ने बहिष्कार किया था। राजकीय इंटर कालेज में प्रधानाचार्य का पद शत-प्रतिशत पदोन्नति का रहा है। विभागीय ढांचे में विसंगति और राजकीय इंटर कालेजों की तुलना में राजकीय हाईस्कूलों की संख्या बहुत कम होने के कारण प्रधानाचार्यों के पद भरने में कठिनाई उत्पन्न हो रही थी।
इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने प्रधानाचार्य के 50 प्रतिशत पदों को पदोन्नति और 50 प्रतिशत पदों को सीधी भर्ती से करने के लिए संबंधित नियमावली में संशोधन किया। प्रधानाचार्य के रिक्त 692 पदों पर सीधी भर्ती के लिए राज्य लोक सेवा आयोग को अधियाचन भेजा गया। आयोग ने सीधी भर्ती के लिए इसी माह परीक्षा कार्यक्रम निर्धारित किया है। शिक्षकों के सीधी भर्ती के विरोध को लेकर मुखर होने पर शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने गत दिवस भी शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मंथन किया था। इस क्रम में दूसरे दिन शुक्रवार को भी कैबिनेट मंत्री डा धन सिंह रावत ने शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।
बैठक में प्रधानाचार्य पदों पर सीधी भर्ती के नियम में परिवर्तन करने पर सहमति बनी। शिक्षकों को इन पदों पर अधिक अवसर मिले, इसके लिए नियमों का दायरा बढ़ाया जाएगा। सीधी भर्ती के लिए आयु सीमा को भी 50 वर्ष से बढ़ाकर 55 वर्ष की जाएगी। एलटी संवर्ग के शिक्षकों को भर्ती में अवसर देने के लिए सेवा अवधि को 10 वर्ष से बढ़ाकर 15 वर्ष करने पर सकारात्मक रुख रखा गया है। बीएड डिग्री की योग्यता नहीं रखने वाले प्रवक्ता भी अब सीधी भर्ती में भाग ले सकेंगे। आयोग के माध्यम से सीधी भर्ती से आए प्रवक्ता भी भर्ती परीक्षा में सम्मिलित हो सकेंगे। इन सभी बिंदुओं को वर्तमान नियमावली में लाने के लिए इसमें संशोधन किया जाएगा। शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने बताया कि प्रधानाचार्य नियमावली में संशोधन के लिए प्रस्ताव विभाग तैयार कर शासन को उपलब्ध कराएगा। नियमावली में संशोधन को देखते हुए परीक्षा कार्यक्रम को आगे बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है। साथ ही शिक्षकों की पदोन्नति के हर संभव प्रयास किए जाएंगे। इस संबंध में सरकार हाईकोर्ट में पक्ष रखने और शासन स्तर पर विसंगतियों के निवारण से संबंधित कदम उठाएगी। बैठक में कार्मिक व वित्त अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, वित्त सचिव दिलीप जावलकर, शिक्षा सचिव रविनाथ रामन, अपर सचिव रंजना राजगुरु, गंगा प्रसाद एवं न्याय विभाग के उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।
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